

बिलासपुर। “राज्य में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और समावेशी बनाने के लिए शालाओं और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है।” यह जानकारी गुरुवार को अपराह्न मंथन सभा कक्ष में बिलासपुर (छत्तीसगढ़) के कलेक्टर संजय अग्रवाल ने पत्रकारों को दी।
उन्होंने बताया कि नगरीय इलाकों में छात्रों की तुलना अधिक शिक्षक पदस्थ हैं, जबकि ग्रामीण और दूरस्थ अंचलों की शालाओं में स्थिति इसके विपरीत है। वहां शिक्षकों की कमी है, जिसके चलते शैक्षिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं और छात्र-छात्राओं का परीक्षा परिणाम भी प्रभावित हो रहा है।
इस स्थिति को सुधारने के उद्देश्य ही प्रदेश सरकार द्वारा युक्तियुक्तकरण का कदम उठाया गया है। इससे जिन शालाओं में शिक्षक की जरूरत है, वहां शिक्षक उपलब्ध होंगे। साथ ही
ग्रामीण क्षेत्रों में गणित, रसायन, भौतिकी और जीव विज्ञान जैसे विषयों के विशेषज्ञ भी उपलब्ध होंगे। इसके अलावा
बच्चों को अच्छी शिक्षा, बेहतर शैक्षणिक वातावरण और बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
युक्तियुक्तकरण के माध्यम से छात्र-शिक्षक अनुपात स्कूलों में संतुलित हो, यह सुनिश्चित किया जा रहा है।
कलेक्टर ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के दिशा-निर्देशों के अनुरूप शिक्षकों और शालाओं का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में प्राथमिक स्तर पर छात्र-शिक्षक अनुपात 21.84 विद्यार्थी प्रति शिक्षक एवं पूर्व माध्यमिक शालाओं में 26.2 विद्यार्थी प्रति शिक्षक हैं, जो राष्ट्रीय औसत से बेहतर है।
राज्य में 212 प्राथमिक शालाएं शिक्षकविहीन एवं 6,872 शालाएं एकल शिक्षकीय हैं।
बिलासपुर जिले में 4 प्राथमिक शालाएं शिक्षकविहीन एवं 126 शालाएं एकल शिक्षकीय हैं।
उन्होंने जानकारी दी कि राज्य में 48 पूर्व माध्यमिक शालाएं शिक्षकविहीन और 255 एकल शिक्षकीय थे।
राज्य के प्राथमिक स्कूलों में 7,296 शिक्षक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में 5,536 शिक्षकों की आवश्यकता है। जिले में प्राथमिक स्कूलों में 1608 सहायक शिक्षक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में 230 शिक्षकों की आवश्यकता है।
राज्य के प्राथमिक शालाओं में 3,608 एवं पूर्व माध्यमिक शालाओं में 1,762 शिक्षक ही अतिशेष हैं। जिले में प्राथमिक शालाओं में 457 एवं पूर्व माध्यमिक शालाओं में 211 शिक्षक ही अतिशेष थे, जिनकी काउसिंलिग कर कम शिक्षक एवं अधिक दर्ज संख्या वाले शालाओं में समायोजन किया गया है।
युक्तियुक्तकरण से शिक्षक विहीन विद्यालयों में शिक्षकों की उपलब्धता के साथ ही एक ही परिसर में विद्यालय होने से आधारभूत संरचना मजबूत होगी और स्थापना व्यय में भी कमी आएगी।
उन्होंने दावा किया कि यह युक्तियुक्तकरण कोई कटौती नहीं, बल्कि गुणवत्ता और समानता की दिशा में बड़ा कदम है।
जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग मिलकर यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी विद्यार्थी की पढ़ाई प्रभावित न हो।
बिलासपुर जिले में 429 ई संवर्ग 2 टी संवर्ग कुल 431 शालाओं का समायोजन किया गया हैं।
सिर्फ उन्हीं स्कूलों का समायोजन किया जा रहा है, जिनमें छात्रों की संख्या बहुत कम है और पास में बेहतर विकल्प मौजूद हैं।एक ही परिसर में स्थित विद्यालयों को समाहित कर क्लस्टर मॉडल विकसित किया जा रहा है।
कलेक्टर ने बताया कि अतिशेष शिक्षकों का पुनः समायोजन कर एकल शिक्षकीय और शिक्षक विहीन विद्यालयों में पदस्थापना की जा रही है।
युक्तियुक्तकरण से लगभग 90 प्रतिशत विद्यार्थियों को तीन बार प्रवेश प्रक्रिया से मुक्ति मिलेगी और पढ़ाई में गुणवत्ता के साथ ही निरंतरता भी बनी रहेगी।
विद्यार्थियों के ड्रॉपआउट दर में कमी आएगी। अच्छी बिल्डिंग, लैब, लाईब्रेरी जैसी सुविधाएं एक ही जगह देना आसान होगा।
उन्होंने यह जानकारी भी दी कि रायपुर जिले के नयापारा कन्या स्कूल में 33 छात्राओं पर 7 शिक्षक और रविग्राम में 82 विद्यार्थियों पर 8 शिक्षक तैनात हैं, वहीं दूसरी ओर राज्य के सुदूर क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी हैं।
इसी तरह दुर्ग जिले के धमधा ब्लॉक के शासकीय हाई स्कूल मुरमुदा में 63 छात्रों पर केवल 3 व्याख्याता पदस्थ हैं, जिससे परीक्षा परिणाम 47.62 प्रतिशत रहा। सिलितरा और बिरेझर स्कूलों की स्थिति और भी खराब है, यहाँ एक भी व्याख्याता पदस्थ नहीं है, जबकि छात्रों की संख्या क्रमशः 81 और 63 है। इन स्कूलों में परिणाम महज 36.59 प्रतिशत और 35 प्रतिशत रहा है।
इसके उलट, शहरी स्कूलों में शिक्षक आवश्यकता से अधिक पदस्थ हैं। केम्प-1 भिलाई स्कूल में 225 छात्रों पर 17 शिक्षक, और नेहरू प्राथमिक शाला दुर्ग में 113 छात्रों पर 11 शिक्षक कार्यरत हैं, जो कि निर्धारित संख्या से कहीं अधिक है।
राजनांदगांव जिले के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, घोटिया (विकासखंड डोंगरगढ़) में कक्षा 10वीं एवं 12वीं के लिए कुल 103 विद्यार्थियों की दर्ज संख्या है, यहां स्वीकृत 11 पदों के विरुद्ध मात्र 3 व्याख्याता कार्यरत हैं एवं 8 पद रिक्त हैं।
दूसरी ओर ठाकुर प्यारेलाल शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय राजनांदगांव में 84 विद्यार्थियों की तुलना में 10 शिक्षक कार्यरत हैं, जबकि दर्ज संख्या के अनुसार यहां केवल 4 शिक्षकों की आवश्यकता है।
खैरागढ़-खुईखदान-गंडई जिले के शासकीय हाई स्कूल देवरचा में कक्षा 10वीं के छात्रों की दर्ज संख्या 20 है, और स्वीकृत 6 पदों में से केवल 1 व्याख्याता ही कार्यरत है। इसी प्रकार शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला साल्हेवारा (विकासखंड छुईखदान) में 145 छात्रों में मात्र 1 शिक्षक कार्यरत है।
कोरबा जिले में 14 प्राथमिक शाला और 4 माध्यमिक शाला शिक्षकविहीन थे, तथा 266 प्राथमिक शालाएं एकल शिक्षकीय थीं। युक्तियुक्तकरण से इन स्कूलों में शिक्षकों की व्यवस्था से बच्चों की सुचारू पढ़ाई हो सकेगी।
बिलासपुर जिले की स्थिति के संबंध में कलेक्टर ने बताया कि बिलासपुर जिले के कोटा के खपराखेल कुसुमखेड़ा मस्तूरी के सबरियाडेरा लोहर्सी एवं तखतपुर के डिलवापारा आदिवासी बैगा बाहुल्य ग्राम है। जो शिक्षकविहीन थे, वहां 2-2 शिक्षक दिये गये है। इसी प्रकार एकल शिक्षकीय पूर्व माध्यमिक शाला चितवार (तखतपुर), जैतपुर (मस्तूरी), तरवा व नगोई (कोटा) में 3-3 शिक्षक, शिक्षकविहीन शाला शास. हाईस्कूल कुकुदा (मस्तूरी) में 5, सैदा (तखतपुर) में 4, कुकुर्दीकला (मस्तूरी) में 3 शिक्षक दिये गये है। शहर के भीतर पूर्व माध्यमिक शाला तारबहार (बिल्हा) में 11 शिक्षक पदस्थ थें, किन्तु दर्ज संख्या मात्र 142 है। ऐसे अतिशेंष शिक्षकों को अन्यत्र शालाओं पदस्थापना दी गई है।


Dinesh Kumar Thakkar
Founder and Editor in Chief www.ampmtimes.com
Mobile number – 9425220663
Email : – theampmtimes@gmail.com